रविवार, 2 मई 2010 | By: हिमांशु पन्त

भुल चुक माफ़... बस ऐसे ही लिख दिया.. क्या लिखूं?

लिखने का मन कर रहा था, कुछ सूझ ही नहीं रहा था... बहुत कोशिश की, कोशिश करते करते चिढ़ सी होने लगी... तो बस ऐसे ही कुछ अपनी सोच को ही लिख डाला की क्या लिखूं...  तो बस कुछ ऐसे ही है, माफ़ करियेगा..

कुछ कुछ सोचता हूँ,
फिर कलम उठाता हूँ,
और
फिर कुछ फाड़ता हूँ,
कुछ लिखने का मन है,
पर क्या लिखूं?

कई बातें मेरे मन मे,
कई अनकहे जज्बात,
और
बहुत सी बिखरी सोचें,
इनमे ही उलझ जाता हूँ,
अब क्या लिखूं ?

तेरी वफायें भी याद हैं,
तेरे धोखे भी साथ हैं,
और
वो उन दिनों का प्यार,
तो कैसे तुझे रुसवा करूं,
अब क्या लिखूं ?

अपने बचपन की बातें,
या लड़कपन के किस्से,
और
वो जवानी की बेरुखी,
किस वक़्त को बयां करूं,
अब क्या लिखूं ?

एक निराला सा गीत,
या एक रूमानी ग़जल,
और
दुनिया पे एक कविता,
इत्ता सब है लिखने को,
पर क्या लिखूं ?

11 comments:

मनोज कुमार ने कहा…

उलझन .. फिर भी अच्छी भावाभिव्यक्ति।

Udan Tashtari ने कहा…

क्या लिखूँ पूछते पूछते भी बहुत कुछ लिख गये..अब और क्या लिखोगे. महा काव्य रचने का इरादा है क्या? :)


बहुत बढ़िया.

श्यामल सुमन ने कहा…

इसी बहाने लिखे तो। यह भी एक अच्छी बात है।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

दिलीप ने कहा…

is uhapoh me bhi kalam khub chali...bahut khoob...

हिमांशु पन्त ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया की बस बन सी गयी रचना को सराहा आप लोगों ने.. बहुत बहुत धन्यवाद्..

Shekhar Kumawat ने कहा…

BAHUT KHUB

BADHAI AAP KO IS KE LIYE

Pushpa Paliwal ने कहा…

very well done. itna kyu soch raha he maine bola to tha naveen par kuchh likh de, itne saare kisse sunaye the maine tujhe...achha chal mujh par kuchh likh de. he he he just kidding. nice one really

हिमांशु पन्त ने कहा…

pinku naveen ki ghatnayein badi vichitra aur tilismi hain... bahut soch samajh ke hi likh paaunga.. :P

Sanjeev Gupta ने कहा…

Chaliye kuch to likha :)

kunwarji's ने कहा…

"क्या लिखूँ पूछते पूछते भी बहुत कुछ लिख गये..अब और क्या लिखोगे. महा काव्य रचने का इरादा है क्या? :)
बहुत बढ़िया."

sameer ji ne sahi kaha hai ji....
kunwar ji,

Pushpa Paliwal ने कहा…

chal naveen ke liye to tujhse sonch samjhkar likhna padega magar mere liye likhne ke liye jayada sochne ki jaruratnahi padegi he he he

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