अज़ाब तेरी हाफिजाह का सह भी नहीं पाता,
पर तेरे ख्यालों बिना अब रह भी नहीं पाता.
सीना-ए-बिस्मिल गाहे गाहे इस कदर रोता है,
छुपाये ना छुपे क्या करूं अब कह भी नहीं पाता.
दिल-ए-कस्ता कुछ इस ढब मजरूह हो चुका,
दवा करो लाख ये आलम अब ढह भी नहीं पाता.
आब-ए-तल्ख़ इस हद फना हो चुके निगाहों से,
जु-ए-दर्द पर कतरा अश्क अब बह भी नहीं पाता.
कुल्ज़ुम-ए-गम मे इस अंदाज फंस चुका हूँ यारों,
कोसों निकल आया और अब सतह भी नहीं पाता.
लीजिये जनाब कुछ कठिन लफ्जों के अर्थ :
अज़ाब - दुःख, चुभन, कचोट
हाफिजाह - यादें
सीना-ए-बिस्मिल - जख्मों भरा दिल
गाहे गाहे - कभी कभी
दिल-ए-कस्ता - घायल दिल
मजर्रुह - घावों से भरा
आब-ए-तल्ख़ - आँख के आंसू
जू-ए-दर्द - बेइन्तेहाँ दर्द
कुल्जुम-ए-गम - गम का सागर