रविवार, 19 अगस्त 2012 | By: हिमांशु पन्त

हाइकु - फिर बदरा

घने बदरा,
प्यासी भयी ये धरा,
खेल गजब।

हवा का रुख,
लगे बदला कुछ,
बरस अब।

काला हुआ वो,
जो नीला था आकाश,
अब देर क्यूँ ?