उस दिन को कोसूं या फिर आज खुद को दोष दूं,
सोचा ही नहीं था की कुछ गलत सोच लिया था,
जाने क्या था पर इश्क तो तुझसे कर ही लिया था.
सपनों पे यकीं था पर इस कदर करना था की नहीं,
इस पर तो शायद कभी गौर ही नहीं कर पाए हम,
पता नहीं क्यूँ हर सपना तो तुझको दे ही दिया था.
उम्मीदें तुझसे भी हमे करनी थी या की शायद नहीं,
बस वादे ही करते रह गया उस तमाम वक़्त तेरे साथ,
पर उम्मीदों के साए में तुझको भी तो रख ही लिया था.
वक़्त माँगा था तुझसे या शायद वो भूल थी मेरी ही,
तेरे इनकार को बस मजाक ही समझते रह गए हम,
पर वक़्त के इंतेजार मे तुझको तो रख ही लिया था.
किस्मत पे भरोसा था ना जाने क्यूँ आखिर तक,
कुछ भरोसा तेरा भी हमेशा मेरे साथ था कहीं पे,
पर भरोसे की आड़ मे खुद को तो ठग ही लिया था....
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शुरुवात से ही एक स्वछंद पक्षी की भांति जीता रहा हूँ. कुछ लिखना चाहता था हमेशा से, अब क्यूँ है मन में ये, तो इसका भी जवाब है मेरे पास.. बहुत इच्छाएं आशाएं करी, पर सभी तो पूरी नहीं होती और कुछ हो भी जाती हैं, तो वही आधी अधूरी और कुछ पूरी इच्छाओं की खुशी या कष्ट को कहाँ पे कैसे व्यक्त करता, तो बस उठा ली कलम कुछ साल पहले,गोदा और फाड़ा, लिखता था तो मन में भावना आती थी की किसी को पढ़ाऊं, जिसको बोलता वो नाख भौं निचोड़ के आगे बढ़ चलता.. तकनीक का सहारा लेने लगा, तो अब आपके सामने हूँ..
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About Me
- हिमांशु पन्त
- मैं एक वो इंसान हूँ जो जिंदगी को खेलते हुए जीना चाहता है और ऐसे ही जीवन की सभी दुविधाओं को ख़तम करना चाहता है... मतलब की मै कुछ जिंदगी को आसां बनाना चाहता हूँ.. वास्तव मै मै अपने सपनों और इच्छाओं मे और उनके साथ जीना चाहता हूँ.. मैं अपने भाग्यचक्र को हराना चाहता हूँ पर ये भी सच है की मे भाग्यचक्र के साथ चलना भी चाहता हूँ.. शायद मे कुछ उलझा हुआ सा हूँ अपने मे.. तो बस आप मेरे मित्र बन के रहो और साथ ही इस उलझन का एक हिस्सा भी... तो मुस्कुराते रहो और अपनी जिंदगी को जिन्दा रखो... वादा है मुश्किलें आसां हो जाएँगी... :)
2 comments:
Kasak bhari,lekin sundar rachna!
bahut baht dhanyawad..par abhi adhuri hai ye rachna,purn hone pe aapki tippani sarahniya hogi..:)
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