कविता पे एक कविता..... क्या क्या लिख जाते हैं हम लोग कविता मे... या कविता होती कैसी है..... या कैसे बनती है... वही लिख दिया.... फिर एक कविता.....
उन दर्दों को फिर आज सुनाने का दिल करता है,
आज फिर एक कविता लिख जाने को दिल करता है.
बारिश की बूदें हों या वो बिजली की चमक,
बस फिर कुछ कह जाने को दिल करता है.
बादलों की गडगडाहट हवा की सरसराहट,
इन सबको आज आजमाने को दिल करता है.
इस मौसम को बस गुनगुनाने को दिल करता है,
आज फिर एक कविता लिख जाने को दिल करता है.
वक़्त की सुइयों को और रिश्ते की डोरों को,
फिर से जग को समझाने को दिल करता है.
सारी भूली यादों को उन अनकहे जज्बातों को,
एक बार फ़िर से जी जाने को दिल करता है.
आंसु को आज फ़िर स्याही बनाने को दिल करता है,
आज फ़िर एक कविता लिख जाने को दिल करता है.
Pages
शुरुवात से ही एक स्वछंद पक्षी की भांति जीता रहा हूँ. कुछ लिखना चाहता था हमेशा से, अब क्यूँ है मन में ये, तो इसका भी जवाब है मेरे पास.. बहुत इच्छाएं आशाएं करी, पर सभी तो पूरी नहीं होती और कुछ हो भी जाती हैं, तो वही आधी अधूरी और कुछ पूरी इच्छाओं की खुशी या कष्ट को कहाँ पे कैसे व्यक्त करता, तो बस उठा ली कलम कुछ साल पहले,गोदा और फाड़ा, लिखता था तो मन में भावना आती थी की किसी को पढ़ाऊं, जिसको बोलता वो नाख भौं निचोड़ के आगे बढ़ चलता.. तकनीक का सहारा लेने लगा, तो अब आपके सामने हूँ..
कुल पेज दृश्य
Voice Of Heart
फ़ॉलोअर
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 2.5 India License.
Work by Himanshu Pant is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative. Blogger द्वारा संचालित.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
Blog Archive
-
►
2009
(4)
- ► अप्रैल 2009 (3)
- ► सितंबर 2009 (1)
-
▼
2010
(36)
- ► अप्रैल 2010 (19)
- ► जुलाई 2010 (1)
-
►
2011
(5)
- ► जुलाई 2011 (1)
- ► अगस्त 2011 (1)
- ► सितंबर 2011 (1)
About Me
- हिमांशु पन्त
- मैं एक वो इंसान हूँ जो जिंदगी को खेलते हुए जीना चाहता है और ऐसे ही जीवन की सभी दुविधाओं को ख़तम करना चाहता है... मतलब की मै कुछ जिंदगी को आसां बनाना चाहता हूँ.. वास्तव मै मै अपने सपनों और इच्छाओं मे और उनके साथ जीना चाहता हूँ.. मैं अपने भाग्यचक्र को हराना चाहता हूँ पर ये भी सच है की मे भाग्यचक्र के साथ चलना भी चाहता हूँ.. शायद मे कुछ उलझा हुआ सा हूँ अपने मे.. तो बस आप मेरे मित्र बन के रहो और साथ ही इस उलझन का एक हिस्सा भी... तो मुस्कुराते रहो और अपनी जिंदगी को जिन्दा रखो... वादा है मुश्किलें आसां हो जाएँगी... :)