तेरी यादों को जब तलक सोचता रहा,
तेरे अक्स को तब तलक खोजता रहा.
पहले भी तो तन्हा ही रहा करता था,
पर तेरे जाने पे क्यु तुझे कोसता रहा.
अक्सर जिंदगी मे ऐसा होता ही रहा है,
तो तेरे रूठने पे क्यूँ मन मसोसता रहा.
वक़्त की जंजीर तो होती हैं जकडने को,
तो क्यूँ हर बार कड़ियों को तोड़ता रहा.
जितना पास आया तेरे तू दूर जाती रही,
फिर भी तेरी ओर क्यूँ आखिर दौड़ता रहा.
तेरे मिलने की कोई भी उम्मीद ना बची थी,
फिर भी जाने क्यूँ हर दर तुझे खोजता रहा.
याद था जख्मों पे अक्सर मरहम लगाती थी,
तो तेरे आने की आरजू मे जख्म खोदता रहा .
अक्सर जिंदगी मे ऐसा होता ही रहा है,
तो तेरे रूठने पे क्यूँ मन मसोसता रहा.
वक़्त की जंजीर तो होती हैं जकडने को,
तो क्यूँ हर बार कड़ियों को तोड़ता रहा.
जितना पास आया तेरे तू दूर जाती रही,
फिर भी तेरी ओर क्यूँ आखिर दौड़ता रहा.
तेरे मिलने की कोई भी उम्मीद ना बची थी,
फिर भी जाने क्यूँ हर दर तुझे खोजता रहा.
याद था जख्मों पे अक्सर मरहम लगाती थी,
तो तेरे आने की आरजू मे जख्म खोदता रहा .