सभी को पता है की वक़्त तो बस भागता ही है.. और किसी के रोके रुकता नहीं फिर भी एक कोशिश रहती है कई बार वक़्त पे विजय पाने की तो उसी कोशिश को अभिव्यक्त कर दिया है इस रचना मे....
कोशिश करता और फिर थकता हूँ,
हर पल थामने को लगा रहता हूँ,
पर मेरी उम्मीदों से ज्यादा सख्त,
छूटता जा रहा है ये बेलगाम वक़्त.
बचपन मे भी इसको पकड़ना चाहा,
जवानी मे भी इसको जकड़ना चाहा,
पर हमेशा से दिल मे डालता लख्त,
छूटता जा रहा है ये बेलगाम वक़्त.
गाँव मे कुछ ठहरा सा दिख जाता,
पर शहरों मे बस भागता सा जाता,
न जाने कैसा सफ़र करता कम्भक्त,
छूटता जा रहा है ये बेलगाम वक़्त.
वादों की ना है कुछ परवाह इसको,
ना ही कसमों से रहे कुछ मतलब,
बस अपने धुन मे चले है मदमस्त,
छूटता जा रहा है ये बेलगाम वक़्त.
एक उलझन है मन मे इसको ले के,
जीवन बढाता या घटाता इसका संग,
साथ मे तो बहा ले जाता है हर रक्त,
छूटता जा रहा है ये बेलगाम वक़्त.
अति बलवान और कभी अति जटिल,
कभी चपल रहे और कभी शिथिल,
हर युग हर वेश मे ये रहता सशक्त,
छूटता जा रहा है ये बेलगाम वक़्त.
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शुरुवात से ही एक स्वछंद पक्षी की भांति जीता रहा हूँ. कुछ लिखना चाहता था हमेशा से, अब क्यूँ है मन में ये, तो इसका भी जवाब है मेरे पास.. बहुत इच्छाएं आशाएं करी, पर सभी तो पूरी नहीं होती और कुछ हो भी जाती हैं, तो वही आधी अधूरी और कुछ पूरी इच्छाओं की खुशी या कष्ट को कहाँ पे कैसे व्यक्त करता, तो बस उठा ली कलम कुछ साल पहले,गोदा और फाड़ा, लिखता था तो मन में भावना आती थी की किसी को पढ़ाऊं, जिसको बोलता वो नाख भौं निचोड़ के आगे बढ़ चलता.. तकनीक का सहारा लेने लगा, तो अब आपके सामने हूँ..
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About Me
- हिमांशु पन्त
- मैं एक वो इंसान हूँ जो जिंदगी को खेलते हुए जीना चाहता है और ऐसे ही जीवन की सभी दुविधाओं को ख़तम करना चाहता है... मतलब की मै कुछ जिंदगी को आसां बनाना चाहता हूँ.. वास्तव मै मै अपने सपनों और इच्छाओं मे और उनके साथ जीना चाहता हूँ.. मैं अपने भाग्यचक्र को हराना चाहता हूँ पर ये भी सच है की मे भाग्यचक्र के साथ चलना भी चाहता हूँ.. शायद मे कुछ उलझा हुआ सा हूँ अपने मे.. तो बस आप मेरे मित्र बन के रहो और साथ ही इस उलझन का एक हिस्सा भी... तो मुस्कुराते रहो और अपनी जिंदगी को जिन्दा रखो... वादा है मुश्किलें आसां हो जाएँगी... :)