अश्रुओं की धारा,
ग़मों का दरिया,
यादों का सागर,
बस कुछ ऐसा ही....
दर्द भरा दिल,
सपनों भरा चेतन,
चित्त मे कई मर्म,
बस कुछ ऐसा ही....
खामोश सी जुबान,
बहकते से कदम,
बुझती सी आँखें,
बस कुछ ऐसा ही....
प्रेम को तलाशता,
पुष्पों को निहारता,
सोचता सा हरदम,
बस कुछ ऐसा ही....
बेरंग जिसका रंग,
ढीला सा एक बदन,
उलझा हुआ जीवन,
बस कुछ ऐसा ही....
मुट्ठी बंद हाथ,
बिखरी सी उंगलियाँ,
उनमे चलती अनबन,
बस कुछ ऐसा ही....
काँटों पे चलता,
पंखुड़ियों से डरता,
खुशबू से उलझन,
बस कुछ ऐसा ही,
होता है एक दीवाना...
Pages
शुरुवात से ही एक स्वछंद पक्षी की भांति जीता रहा हूँ. कुछ लिखना चाहता था हमेशा से, अब क्यूँ है मन में ये, तो इसका भी जवाब है मेरे पास.. बहुत इच्छाएं आशाएं करी, पर सभी तो पूरी नहीं होती और कुछ हो भी जाती हैं, तो वही आधी अधूरी और कुछ पूरी इच्छाओं की खुशी या कष्ट को कहाँ पे कैसे व्यक्त करता, तो बस उठा ली कलम कुछ साल पहले,गोदा और फाड़ा, लिखता था तो मन में भावना आती थी की किसी को पढ़ाऊं, जिसको बोलता वो नाख भौं निचोड़ के आगे बढ़ चलता.. तकनीक का सहारा लेने लगा, तो अब आपके सामने हूँ..
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Voice Of Heart
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Work by Himanshu Pant is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative. Blogger द्वारा संचालित.
जिंदगी खो दी मैंने तो
वक़्त भी ना मिल पाया मुझको कभी अगर माँगा भी तो ..
उस एक वक़्त की कमी से पूरी जिंदगी ही खो दी मैंने तो..
दोबारा जी भी सकूँगा के नहीं पता नहीं अब जिंदगी तुझे..
तेरी ही चाह में हर पल की अपनी ख़ुशी ही खो दी मैंने तो..
कभी यादों ने परेशां किया तो कभी दिल के जख्मों ने..
परेशानियों को भुलाने मे बची हर हंसी ही खो दी मैंने तो..
खुदा से मांगी दुआएं की दिल को सुकून कुछ तो मिले,
मांगने की फितरत मे खुदा की बंदगी ही खो दी मैंने तो..
मशगुल तब तो कुछ जेहन रहने लगा हर घड़ी सोचों मे..
इन सोचों के घेरों मे अपनों की कमी ही खो दी मैंने तो..
मय पीना फितरत तो ना थी पर फिर आदत सी बन गयी..
नशे मे इस कदर डूबा की अपनी जमीं ही खो दी मैंने तो..
महकती हुई फिजाओं मे भी दुस्वारियां सी दिख्नने लग गयी..
काँटों को छांटने मे महकते फूलों की खुशबू ही खो दी मैंने तो..
अधूरी सी कुछ ख्वाहिशें हर पल हर कदम सताती मुझको..
ख्वाहिशों की चाहत मे रिश्तों की हर कड़ी ही खो दी मैंने तो..
उस एक वक़्त की कमी से पूरी जिंदगी ही खो दी मैंने तो..
दोबारा जी भी सकूँगा के नहीं पता नहीं अब जिंदगी तुझे..
तेरी ही चाह में हर पल की अपनी ख़ुशी ही खो दी मैंने तो..
कभी यादों ने परेशां किया तो कभी दिल के जख्मों ने..
परेशानियों को भुलाने मे बची हर हंसी ही खो दी मैंने तो..
खुदा से मांगी दुआएं की दिल को सुकून कुछ तो मिले,
मांगने की फितरत मे खुदा की बंदगी ही खो दी मैंने तो..
मशगुल तब तो कुछ जेहन रहने लगा हर घड़ी सोचों मे..
इन सोचों के घेरों मे अपनों की कमी ही खो दी मैंने तो..
मय पीना फितरत तो ना थी पर फिर आदत सी बन गयी..
नशे मे इस कदर डूबा की अपनी जमीं ही खो दी मैंने तो..
महकती हुई फिजाओं मे भी दुस्वारियां सी दिख्नने लग गयी..
काँटों को छांटने मे महकते फूलों की खुशबू ही खो दी मैंने तो..
अधूरी सी कुछ ख्वाहिशें हर पल हर कदम सताती मुझको..
ख्वाहिशों की चाहत मे रिश्तों की हर कड़ी ही खो दी मैंने तो..
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About Me
- हिमांशु पन्त
- मैं एक वो इंसान हूँ जो जिंदगी को खेलते हुए जीना चाहता है और ऐसे ही जीवन की सभी दुविधाओं को ख़तम करना चाहता है... मतलब की मै कुछ जिंदगी को आसां बनाना चाहता हूँ.. वास्तव मै मै अपने सपनों और इच्छाओं मे और उनके साथ जीना चाहता हूँ.. मैं अपने भाग्यचक्र को हराना चाहता हूँ पर ये भी सच है की मे भाग्यचक्र के साथ चलना भी चाहता हूँ.. शायद मे कुछ उलझा हुआ सा हूँ अपने मे.. तो बस आप मेरे मित्र बन के रहो और साथ ही इस उलझन का एक हिस्सा भी... तो मुस्कुराते रहो और अपनी जिंदगी को जिन्दा रखो... वादा है मुश्किलें आसां हो जाएँगी... :)