मै कुछ दिनों से खुद को ढूंढ रहा हूँ.. हाँ शायद बेवकूफी है पर क्या करूं मै हूँ ही जरा सनकी व्यक्तित्व,, बस धुन लग जाती है कोई तो उसी को पकड़ के बैठ जाता हूँ.. कोई नहीं इसका अपना अलग ही मजा है.. लिखना अच्छा लगता था बहुत पहले से, लिखने लगा.. कुछ शायरी २ लाइन की, फिर कुछ कविता और फिर अपने ही बारे मे... एक दिन आया की सोचा बस बहुत हुआ लिखता हूँ तो लेखन मे स्थिरता लायी जाये.. ले आया कविता लिखनी शुरू कर दी.... रोज की एक कविता.. फिर सोचा ग़जल लिख दूं.. तो आप लोगों की आँखों के सामने ३- ४ दिन लगातार ३-४ ग़जलें भी लिख डाली.. अब २ - ४ दिन से मन कर रहा है अपने लिखने पे लिखने का.. तो अब वो लिख रहा हूँ... ना जाने कल क्या सोच लूँगा, पर हाँ लिखूंगा अब हमेशा.. वक़्त जब तक साथ देगा और सांसें जब तक साथ देंगी.. युवा हूँ पर घर का छोटा हूँ तो थोडा सा बचपना है.. सीख रहा हूँ.. माफ़ करियेगा गलतियों को..
एक ताल,
या
एक नदी,
या फिर
एक बहती
सरिता हो,
तुम्ही
बता दो,
आखिर कैसी मेरी कविता हो.
खुला आसमान,
या
असीमित जमीं,
या फिर
कोई जीवन
संहिता हो,
तुम्ही
बता दो
आखिर कैसी मेरी कविता हो.
महकता उपवन,
या
कोमल कोपल
या फिर
कोई सुन्दर
वनिता हो,
तुम्ही
बता दो
आखिर कैसी मेरी कविता हो.
उलझा जीवन
या
नटखट बचपन
या फिर
कोई युवा
अजिता हो,
तुम्ही
बता दो,
आखिर कैसी मेरी कविता हो.
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शुरुवात से ही एक स्वछंद पक्षी की भांति जीता रहा हूँ. कुछ लिखना चाहता था हमेशा से, अब क्यूँ है मन में ये, तो इसका भी जवाब है मेरे पास.. बहुत इच्छाएं आशाएं करी, पर सभी तो पूरी नहीं होती और कुछ हो भी जाती हैं, तो वही आधी अधूरी और कुछ पूरी इच्छाओं की खुशी या कष्ट को कहाँ पे कैसे व्यक्त करता, तो बस उठा ली कलम कुछ साल पहले,गोदा और फाड़ा, लिखता था तो मन में भावना आती थी की किसी को पढ़ाऊं, जिसको बोलता वो नाख भौं निचोड़ के आगे बढ़ चलता.. तकनीक का सहारा लेने लगा, तो अब आपके सामने हूँ..
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About Me
- हिमांशु पन्त
- मैं एक वो इंसान हूँ जो जिंदगी को खेलते हुए जीना चाहता है और ऐसे ही जीवन की सभी दुविधाओं को ख़तम करना चाहता है... मतलब की मै कुछ जिंदगी को आसां बनाना चाहता हूँ.. वास्तव मै मै अपने सपनों और इच्छाओं मे और उनके साथ जीना चाहता हूँ.. मैं अपने भाग्यचक्र को हराना चाहता हूँ पर ये भी सच है की मे भाग्यचक्र के साथ चलना भी चाहता हूँ.. शायद मे कुछ उलझा हुआ सा हूँ अपने मे.. तो बस आप मेरे मित्र बन के रहो और साथ ही इस उलझन का एक हिस्सा भी... तो मुस्कुराते रहो और अपनी जिंदगी को जिन्दा रखो... वादा है मुश्किलें आसां हो जाएँगी... :)
4 comments:
बहुत खूब हिमांशु...
waah Himanshu ji din pa din lekhni me nikhar aata ja raha hai...
Play our epic technique recreation and conquer the entire various world! Command your troops and seize all of the states. This cell battle recreation will problem your logic and response.
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