जिंदगी कुछ तो बदल जाती है आपके सपनों के टूटने के बाद.. आप जीते तो हो पर वो बात नहीं रह जाती.. सपने तोड़ने वाले को आपका डर रहता है,पर इस बात का नहीं की आपका क्या होगा, इस बात का की आपको कुछ हो गया तो उसको कितनी आत्मग्लानी होगी..
दिल मे चोटें भी हैं, मन मे कई मर्म भी,
इन सब घावों को, तेरी यादों से सीता हूँ मै,
पर तू मत घबरा, आज भी उतना ही जीता हूँ मै....
मय पहले भी पीता था, आज भी प्याले छलकते हैं,
लेकिन पहले खुशियों थी, आज गम मे पीता हूँ मै,
पर तू मत घबरा, आज भी उतना ही जीता हूँ मै....
रोता तो तब भी था, पर वो दर्द दर्द न देते थे,
अब दर्दों का तो पता नहीं, पर वेदनाओं की सरिता हूँ मै,
पर तू मत घबरा, आज भी उतना ही जीता हूँ मै....
जीवन के पृष्ठों पे, हजारों सपनों के किस्से थे,
सपने तो बह गए, अब एक दर्द भरी कविता हूँ मै,
पर तू मत घबरा, आज भी उतना ही जीता हूँ मै....
मेरी फिकर नहीं तुझको, डर है अपने अंतर्मन की,
मत डर चोटिल ही सही, आज भी वही चीता हूँ मै,
तो तू मत घबरा, आज भी उतना ही जीता हूँ मै....
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शुरुवात से ही एक स्वछंद पक्षी की भांति जीता रहा हूँ. कुछ लिखना चाहता था हमेशा से, अब क्यूँ है मन में ये, तो इसका भी जवाब है मेरे पास.. बहुत इच्छाएं आशाएं करी, पर सभी तो पूरी नहीं होती और कुछ हो भी जाती हैं, तो वही आधी अधूरी और कुछ पूरी इच्छाओं की खुशी या कष्ट को कहाँ पे कैसे व्यक्त करता, तो बस उठा ली कलम कुछ साल पहले,गोदा और फाड़ा, लिखता था तो मन में भावना आती थी की किसी को पढ़ाऊं, जिसको बोलता वो नाख भौं निचोड़ के आगे बढ़ चलता.. तकनीक का सहारा लेने लगा, तो अब आपके सामने हूँ..
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About Me
- हिमांशु पन्त
- मैं एक वो इंसान हूँ जो जिंदगी को खेलते हुए जीना चाहता है और ऐसे ही जीवन की सभी दुविधाओं को ख़तम करना चाहता है... मतलब की मै कुछ जिंदगी को आसां बनाना चाहता हूँ.. वास्तव मै मै अपने सपनों और इच्छाओं मे और उनके साथ जीना चाहता हूँ.. मैं अपने भाग्यचक्र को हराना चाहता हूँ पर ये भी सच है की मे भाग्यचक्र के साथ चलना भी चाहता हूँ.. शायद मे कुछ उलझा हुआ सा हूँ अपने मे.. तो बस आप मेरे मित्र बन के रहो और साथ ही इस उलझन का एक हिस्सा भी... तो मुस्कुराते रहो और अपनी जिंदगी को जिन्दा रखो... वादा है मुश्किलें आसां हो जाएँगी... :)
5 comments:
awsome
बहुत खूबसूरत लिख रहे हैं आप ! पहली बार आया हूँ, आता रहूँगा ! आभार !
dhanyawad ji... me bhi yahi chahta hoon ki aap hamesa aayein aur meri kamiyon ko ubhar ke door karne ki nahi to kuch sarahna karke protsahit karein..
वाह हिमान्शु जी, बेहतरीन रचना लगी..बहुत खूब!!
sir... kuch aur bhi rachnayein hain meri is blog me.. me chahta hoon aap kabhi waqt nikal ke sabhi ko ek baar padhein aur apne vichar dein..
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