बस ऐसे ही कुछ सोचा... कहीं पे एक चित्र देखा तो मन मे बस ये ही बोल उठ पड़े... शायद एक स्त्री जो अपने प्रेम के लिए किसी भी हद तक जा सकती है किसी भी परेशानी का सामना कर सकती है... उसी के नाम मेरी ये रचना..
कभी किन्ही अनजानी राहों पे,
कभी ऊँची नीची चट्टानों पे,
अगर कभी मै डगमगा जाऊं,
थाम के मेरा हाथ सजन रे,
एक बार कहना मै तेरी हूँ.
समुन्दर की भयावह लहरों से,
आंधी के बलवान थपेड़ों से,
अगर कभी मै सहर जाऊं,
थाम के मेरा हाथ सजन रे,
एक बार कहना मै तेरी हूँ.
गर्मी की चाहे लाख तपिश हो,
या बारिश भी रौद्र रूप मे,
मै उनमे भी चल जाऊँगी,
थाम के मेरा हाथ सजन रे,
एक बार कहना मै तेरी हूँ.
ये जग चाहे लाख सताए,
दुनिया चाहे लाख डराए,
सब छोड़ मै तेरे संग आऊँगी,
थाम के मेरा हाथ सजन रे,
एक बार कहना मै तेरी हूँ.
चाहे जैसा भी सफ़र हो,
चाहे जितनी कठिन डगर हो,
हर कदम तेरे साथ रखूंगी,
थाम के मेरा हाथ सजन रे,
एक बार कहना मै तेरी हूँ.
Pages
शुरुवात से ही एक स्वछंद पक्षी की भांति जीता रहा हूँ. कुछ लिखना चाहता था हमेशा से, अब क्यूँ है मन में ये, तो इसका भी जवाब है मेरे पास.. बहुत इच्छाएं आशाएं करी, पर सभी तो पूरी नहीं होती और कुछ हो भी जाती हैं, तो वही आधी अधूरी और कुछ पूरी इच्छाओं की खुशी या कष्ट को कहाँ पे कैसे व्यक्त करता, तो बस उठा ली कलम कुछ साल पहले,गोदा और फाड़ा, लिखता था तो मन में भावना आती थी की किसी को पढ़ाऊं, जिसको बोलता वो नाख भौं निचोड़ के आगे बढ़ चलता.. तकनीक का सहारा लेने लगा, तो अब आपके सामने हूँ..
कुल पेज दृश्य
Voice Of Heart
फ़ॉलोअर
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 2.5 India License.
Work by Himanshu Pant is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative. Blogger द्वारा संचालित.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Blog Archive
-
►
2009
(4)
- ► अप्रैल 2009 (3)
- ► सितंबर 2009 (1)
-
▼
2010
(36)
- ► अप्रैल 2010 (19)
- ► जुलाई 2010 (1)
-
►
2011
(5)
- ► जुलाई 2011 (1)
- ► अगस्त 2011 (1)
- ► सितंबर 2011 (1)
About Me
- हिमांशु पन्त
- मैं एक वो इंसान हूँ जो जिंदगी को खेलते हुए जीना चाहता है और ऐसे ही जीवन की सभी दुविधाओं को ख़तम करना चाहता है... मतलब की मै कुछ जिंदगी को आसां बनाना चाहता हूँ.. वास्तव मै मै अपने सपनों और इच्छाओं मे और उनके साथ जीना चाहता हूँ.. मैं अपने भाग्यचक्र को हराना चाहता हूँ पर ये भी सच है की मे भाग्यचक्र के साथ चलना भी चाहता हूँ.. शायद मे कुछ उलझा हुआ सा हूँ अपने मे.. तो बस आप मेरे मित्र बन के रहो और साथ ही इस उलझन का एक हिस्सा भी... तो मुस्कुराते रहो और अपनी जिंदगी को जिन्दा रखो... वादा है मुश्किलें आसां हो जाएँगी... :)
6 comments:
eeshwar kare jaldi hi aapko ye kehne wala mil jaaye....
hahaha... aapki jubaan pe saraswati virajmaan ho.. yahi dua karunga ab toh.. :P
नारी के समर्पण के उम्दा भाव:
ये जग चाहे लाख सताए,
दुनिया चाहे लाख डराए,
सब छोड़ मै तेरे संग आऊँगी,
थाम के मेरा हाथ सजन रे,
एक बार कहना मै तेरी हूँ.
बहुत सुन्दर.
hmmmmmmmmmm.nice one
बहुत बहुत धन्यवाद्...
चाहे जैसा भी सफ़र हो,
चाहे जितनी कठिन डगर हो,
हर कदम तेरे साथ रखूंगी,
थाम के मेरा हाथ सजन रे,
एक बार कहना मै तेरी हूँ
बहुत अच्छी कविता... बहुत अच्छे भाव!
एक टिप्पणी भेजें