वैसे तो ग़ज़ल मे लिखता नहीं.. और ना ही मेरी इतनी औकात है.. पर फिर भी कुछ कचोटा सा मन आज किसी बात से, तो बस एक कोशिश भर कर दी... देखें कितना सफल हुआ हूँ....
तेरे अहद-ए-तरब ने कुछ इस ढब अश्क बार किया,
मेरी खरोश से तो दहर भर ने भी अश्क बार किया.
कुछ अघ्लाब से आशना ने हम पे वासिक वार किया,
क़ल्ब तो रोया ही मगर पैकर ने भी अश्क बार किया.
दम-बा-दम तुने खवाबों को इस कदर तार तार किया,
दयार-ए-खुफ्तागां मे बंद नजर ने भी अश्क बार किया.
कुछ इस कदर हमने लम्हात-ए-याद-ए-यार किया,
मेरा दर्द अंगेज दीद हरेक पहर ने भी अश्क बार किया.
खामोशियों मे जब कभी बसर करने का काविश किया,
तेरा जिक्र सुझा कहीं तब हर दर ने भी अश्क बार किया.
वक़्त की हर एक सुई कुछ इस कदर तेरे दस्तों दे दी थी,
वापिस माँगा तो मेरे हरेक सफ़र ने भी अश्क बार किया.
कुछ कठिन शब्दों के अर्थ..
अहद-ए-तरब - खुशनुमा वक़्त मे किये गए वादे
खरोश - चीखना या रोना
दहर - जमाना
अघ्लाब - इस कदर
आशना - मोहब्बत या कोई दिल के करीब
वासिक - कठोर
दयार-ए-खुफ्तागां - सोती हुई दुनिया
दस्तों - हाथों
काविश - सोचा
13 comments:
जनाब अगर यह पहली कोशिश है तो आपकी कोशिश रंग लाई
दिली दाद कबूल फरमाएं
जब याद करते है की हमारी पहली कोशिश क्या थी तो वो इसके सामने कही नहीं ठहरती
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
मेरा कमेंट कहाँ गुम हो गया इस उम्दा रचना पर?
baap re... "sameer" sir aapka comment to 4 chand kya balki 8 - 10 chand laga deta hai kisi bhi blog pe...wo bhala kaise gum ho sakta hai.. alag sa chamakta hai hamesa sir..
वक़्त की हर एक सुई कुछ इस कदर तेरे दस्तों दे दी थी,
वापिस माँगा तो मेरे हरेक सफ़र ने भी अश्क बार किया.
...Itne achhi gajal ban gayee aur aapne likha hai ki ना ही मेरी इतनी औकात है..
Gajal likhne ke liye aukaut jaisi koi baat nahi..
Bahut sundar prayas bahut achha laga...likhte rahiye.....haardik shubhkamnayne
bahut shukragujaar hoon aap sabhi ko ki aapne meri is pahli kosish ko ek jaan di... dhanyawad.
सार्थक एवं प्रसंशनीय प्रयास - शुभकामनाएं
bahut shukriyaa badi meharbaani gazal ki duniyaa me huzoor askbaar aaye
aaye kuchh abr, kuchh sharaab aaye
uske baad aaye ,jo azaab aaye
veerubhaai1947.blogspot.com
bahut bahut sukriya janab.. ye jo najm kahi hai aapne .. dil khus ho gaya..
बहुत सुन्दर गज़ल है. गज़लगो बेहतर समीक्षा करेंगे, मै तो केवल भावपक्ष ही पढ पाती हूं.
सुन्दर गजल है बधाई।
कुछ इस कदर हमने लम्हात-ए-याद-ए-यार किया,
मेरा दर्द अंगेज दीद हरेक पहर ने भी अश्क बार किया.
Waise to har sher apni jagah mauzoom hai..kya kahun?
tahe dil se shukriya ada karna chahunga aap sabhi ka.. hausla badhane ke liye..
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