अज़ाब तेरी हाफिजाह का सह भी नहीं पाता,
पर तेरे ख्यालों बिना अब रह भी नहीं पाता.
सीना-ए-बिस्मिल गाहे गाहे इस कदर रोता है,
छुपाये ना छुपे क्या करूं अब कह भी नहीं पाता.
दिल-ए-कस्ता कुछ इस ढब मजरूह हो चुका,
दवा करो लाख ये आलम अब ढह भी नहीं पाता.
आब-ए-तल्ख़ इस हद फना हो चुके निगाहों से,
जु-ए-दर्द पर कतरा अश्क अब बह भी नहीं पाता.
कुल्ज़ुम-ए-गम मे इस अंदाज फंस चुका हूँ यारों,
कोसों निकल आया और अब सतह भी नहीं पाता.
लीजिये जनाब कुछ कठिन लफ्जों के अर्थ :
अज़ाब - दुःख, चुभन, कचोट
हाफिजाह - यादें
सीना-ए-बिस्मिल - जख्मों भरा दिल
गाहे गाहे - कभी कभी
दिल-ए-कस्ता - घायल दिल
मजर्रुह - घावों से भरा
आब-ए-तल्ख़ - आँख के आंसू
जू-ए-दर्द - बेइन्तेहाँ दर्द
कुल्जुम-ए-गम - गम का सागर
8 comments:
वाह...दोस्त
तू तो ग़जल का मास्टर हो गया है .....:):)
ऐसे बड़े बड़े फनकार छुपे हुए थे हमारे दोस्तों में ...हमें तो पता ही ना था
बहुत उम्दा दोस्त......पर हमारी उर्दू ऐसी नही की हर लफ्ज़ समझ पायें ....:):)
लिखते रहो यूँ ही
कुल्ज़ुम-ए-गम मे इस अंदाज फंस चुका हूँ यारों,
कोसों निकल आया और अब सतह भी नहीं पाता.
bahut khub
ग़ज़ल क़ाबिले-तारीफ़ है।
Bahut hi unda bol hai gazal ke ...
सभी का बहुत बहुत शुक्रिया...
हिमांशु
कठिन उर्दु के शब्दों का हिन्दी अर्थ नीचे लिख दिया करो, तो सबको समझने में आसानी हो जायेगी और गज़ल का मजा दूना!!
बिलकुल सर... अभी तो लिख ही दिए हैं.. आगे भी ख्याल रहूँगा..
BAHUT KHUB
BADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT
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