लिखने का मन कर रहा था, कुछ सूझ ही नहीं रहा था... बहुत कोशिश की, कोशिश करते करते चिढ़ सी होने लगी... तो बस ऐसे ही कुछ अपनी सोच को ही लिख डाला की क्या लिखूं... तो बस कुछ ऐसे ही है, माफ़ करियेगा..
कुछ कुछ सोचता हूँ,
फिर कलम उठाता हूँ,
और
फिर कुछ फाड़ता हूँ,
कुछ लिखने का मन है,
पर क्या लिखूं?
कई बातें मेरे मन मे,
कई अनकहे जज्बात,
और
बहुत सी बिखरी सोचें,
इनमे ही उलझ जाता हूँ,
अब क्या लिखूं ?
तेरी वफायें भी याद हैं,
तेरे धोखे भी साथ हैं,
और
वो उन दिनों का प्यार,
तो कैसे तुझे रुसवा करूं,
अब क्या लिखूं ?
अपने बचपन की बातें,
या लड़कपन के किस्से,
और
वो जवानी की बेरुखी,
किस वक़्त को बयां करूं,
अब क्या लिखूं ?
एक निराला सा गीत,
या एक रूमानी ग़जल,
और
दुनिया पे एक कविता,
इत्ता सब है लिखने को,
पर क्या लिखूं ?
Pages
शुरुवात से ही एक स्वछंद पक्षी की भांति जीता रहा हूँ. कुछ लिखना चाहता था हमेशा से, अब क्यूँ है मन में ये, तो इसका भी जवाब है मेरे पास.. बहुत इच्छाएं आशाएं करी, पर सभी तो पूरी नहीं होती और कुछ हो भी जाती हैं, तो वही आधी अधूरी और कुछ पूरी इच्छाओं की खुशी या कष्ट को कहाँ पे कैसे व्यक्त करता, तो बस उठा ली कलम कुछ साल पहले,गोदा और फाड़ा, लिखता था तो मन में भावना आती थी की किसी को पढ़ाऊं, जिसको बोलता वो नाख भौं निचोड़ के आगे बढ़ चलता.. तकनीक का सहारा लेने लगा, तो अब आपके सामने हूँ..
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About Me
- हिमांशु पन्त
- मैं एक वो इंसान हूँ जो जिंदगी को खेलते हुए जीना चाहता है और ऐसे ही जीवन की सभी दुविधाओं को ख़तम करना चाहता है... मतलब की मै कुछ जिंदगी को आसां बनाना चाहता हूँ.. वास्तव मै मै अपने सपनों और इच्छाओं मे और उनके साथ जीना चाहता हूँ.. मैं अपने भाग्यचक्र को हराना चाहता हूँ पर ये भी सच है की मे भाग्यचक्र के साथ चलना भी चाहता हूँ.. शायद मे कुछ उलझा हुआ सा हूँ अपने मे.. तो बस आप मेरे मित्र बन के रहो और साथ ही इस उलझन का एक हिस्सा भी... तो मुस्कुराते रहो और अपनी जिंदगी को जिन्दा रखो... वादा है मुश्किलें आसां हो जाएँगी... :)
11 comments:
उलझन .. फिर भी अच्छी भावाभिव्यक्ति।
क्या लिखूँ पूछते पूछते भी बहुत कुछ लिख गये..अब और क्या लिखोगे. महा काव्य रचने का इरादा है क्या? :)
बहुत बढ़िया.
इसी बहाने लिखे तो। यह भी एक अच्छी बात है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
is uhapoh me bhi kalam khub chali...bahut khoob...
बहुत बहुत शुक्रिया की बस बन सी गयी रचना को सराहा आप लोगों ने.. बहुत बहुत धन्यवाद्..
BAHUT KHUB
BADHAI AAP KO IS KE LIYE
very well done. itna kyu soch raha he maine bola to tha naveen par kuchh likh de, itne saare kisse sunaye the maine tujhe...achha chal mujh par kuchh likh de. he he he just kidding. nice one really
pinku naveen ki ghatnayein badi vichitra aur tilismi hain... bahut soch samajh ke hi likh paaunga.. :P
Chaliye kuch to likha :)
"क्या लिखूँ पूछते पूछते भी बहुत कुछ लिख गये..अब और क्या लिखोगे. महा काव्य रचने का इरादा है क्या? :)
बहुत बढ़िया."
sameer ji ne sahi kaha hai ji....
kunwar ji,
chal naveen ke liye to tujhse sonch samjhkar likhna padega magar mere liye likhne ke liye jayada sochne ki jaruratnahi padegi he he he
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