माँ तो हमेशा से हमारे देश क्या पूरे विश्व मे एक महान दर्जा रखती है.. पर पाता नहीं क्यूँ कभी पिता को शायद हम बहुत प्यार तो करते हैं और इज्जत भी देते हैं.. पर दिखा नहीं पाते.. तो बस उन्ही पिताओं के लिए समर्पित है मेरी एक ये रचना...
वो एक शख्स जो हमेशा तकलीफें झेलता है,
अपनी आरजुओं को हमारी इच्छाओं पे कुर्बान करता है,
फिर भी न जाने क्यूँ उसका नाम कोई नही लेता,
जिंदगी पूरी अपने परिवार के लिए जो जीता है,
दर्द में और गम में भी वो हमारी खुशियों को देखता है,
ख़ुद को हो जितनी तक्लिफ्फ़ पर हमे सारे आराम जो देता है,
फिर भी न जाने क्यूँ उसका नाम कोई नही लेता,
जो अपनी पूरी जिंदगी हमारे नाम कर देता है,
जिसे कुछ नही बस हमारी कामयाबी से प्यार है,
हमारी जिंदगी के लिए जो कुछ भी करने को तैयार है,
हमे ऊंचाई पे देखने के लिए जो हर पल बेकरार है,
ए पिता तुझको मेरी तरफ़ से हर बेटे का नमन और प्यार है....
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शुरुवात से ही एक स्वछंद पक्षी की भांति जीता रहा हूँ. कुछ लिखना चाहता था हमेशा से, अब क्यूँ है मन में ये, तो इसका भी जवाब है मेरे पास.. बहुत इच्छाएं आशाएं करी, पर सभी तो पूरी नहीं होती और कुछ हो भी जाती हैं, तो वही आधी अधूरी और कुछ पूरी इच्छाओं की खुशी या कष्ट को कहाँ पे कैसे व्यक्त करता, तो बस उठा ली कलम कुछ साल पहले,गोदा और फाड़ा, लिखता था तो मन में भावना आती थी की किसी को पढ़ाऊं, जिसको बोलता वो नाख भौं निचोड़ के आगे बढ़ चलता.. तकनीक का सहारा लेने लगा, तो अब आपके सामने हूँ..
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About Me
- हिमांशु पन्त
- मैं एक वो इंसान हूँ जो जिंदगी को खेलते हुए जीना चाहता है और ऐसे ही जीवन की सभी दुविधाओं को ख़तम करना चाहता है... मतलब की मै कुछ जिंदगी को आसां बनाना चाहता हूँ.. वास्तव मै मै अपने सपनों और इच्छाओं मे और उनके साथ जीना चाहता हूँ.. मैं अपने भाग्यचक्र को हराना चाहता हूँ पर ये भी सच है की मे भाग्यचक्र के साथ चलना भी चाहता हूँ.. शायद मे कुछ उलझा हुआ सा हूँ अपने मे.. तो बस आप मेरे मित्र बन के रहो और साथ ही इस उलझन का एक हिस्सा भी... तो मुस्कुराते रहो और अपनी जिंदगी को जिन्दा रखो... वादा है मुश्किलें आसां हो जाएँगी... :)
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