रविवार, 26 अप्रैल 2009 | By: हिमांशु पन्त

पापा..

माँ तो हमेशा से हमारे देश क्या पूरे विश्व मे एक महान दर्जा रखती है.. पर पाता नहीं क्यूँ कभी पिता को शायद हम बहुत प्यार तो करते हैं और इज्जत भी देते हैं.. पर दिखा नहीं पाते.. तो बस उन्ही पिताओं के लिए समर्पित है मेरी एक ये रचना...


वो एक शख्स  जो हमेशा तकलीफें  झेलता है,
अपनी आरजुओं को हमारी इच्छाओं पे कुर्बान करता है,
फिर भी न जाने क्यूँ उसका नाम कोई नही लेता,
जिंदगी पूरी अपने परिवार के लिए जो जीता है,
दर्द में और गम में भी वो हमारी खुशियों को देखता है,
ख़ुद को हो जितनी तक्लिफ्फ़ पर हमे सारे आराम जो देता है,
फिर भी न जाने क्यूँ उसका नाम कोई नही लेता,
जो अपनी पूरी जिंदगी हमारे नाम कर देता है,
जिसे कुछ नही बस हमारी कामयाबी से प्यार है,
हमारी जिंदगी के लिए जो कुछ भी करने को तैयार है,
हमे ऊंचाई पे देखने के लिए जो हर पल बेकरार है,
ए पिता तुझको मेरी तरफ़ से हर बेटे का नमन और प्यार है....

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